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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, आठवा भाग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण दर्शन के चार भेद १६६ १ १५७ ठा ४सू ३६५,कर्म भा ४गा.१२ दर्शन के तीन भेद ७७ १ ५५ भश.उ २सू ३२०,ठा ३सू १८४ दर्शन छः
४६७ २ ११५ तत्त्वार्थ रत्ना.,सर्वद ,साख्य,
योग,न्यायद ,सि मु,प्रशस्त,
शास्त्र ,वेदान्त ,ब्रह्म ,हि फि. दशेन परिणाम ७४६ ३ ४२७ ठा १०उ ३सू ७१३,पन्न प १३ दर्शन पुलाक ३६७ १ ३८२ ठा.५ सू ४४५,भ श २५उ ६ दशेनभेदिनी विकथा ५३३ २ २६७ ठा० ७ उ० ३ सू० ५६६ दर्शन मार्गणा और भेद ८४६ ५ ५८ कर्म. भा ४ गा १२ दर्शन मोहनीय
२८ १ २० ठा.सू.१०५,कर्म भा १गा १३ दर्शन विनय ४९८ २ २२६ उव सू २०, भ.श २५उ ७ सु
८०२,ठा ७ उ ३सू।८५,ध.
अधि ३ श्लो ५४ टीपृ १४१ दर्शनविनय के दस बोल ७०६ ३ ३८४ भ श.२५७ ७ सू८०२ दर्शन विनय के ५५भेद १०१० ७ २७७ उव सू २० दर्शन विराधना ८७ १ ६३ सम० ३ दर्शनाचार ३२४ १३३२ ठाउ.२सू ४३२,ध अधि ३
श्लो५४ पृ. १४० दर्शनाचार आठ ५६६ ३ ६ पन्न प १ सू३७गा १२८,उत्त.
२८ गा ३१ दर्शनात्मा ५६३ ३ ६६ भ० श १२ उ १० सू ४६७ दर्शनाराधना ८६ १६३ ०३ उ०४ सू० १६५ दर्शनार्य
७८५ ४ २६७ वृ.उ १ नि गा.३२६२ दर्शनावरणीय कर्म और ५६० ३ ५६ कर्म भा १गा १०-१२,पन प. उसके नौ भेद
२३सू २६३, तत्त्वार्थ अध्या ८