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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाटवाँ भाग
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विषय
वोल भाग पृष्ठ प्रमाण तीन का प्रत्युपकारदुःशक्य१२४ १ ८७ ठा ३ उ १ सू १३५ तीन कारण अल्पायु के १०५ १ ७४ [ ठा ३ उ १ सू १२५, भश ५ तीन कारण अशुभदीर्घायके१०६ १७४ । उ ६ स २०४ तीन कारण जीव की शुभ १०७१ ७५ भश ५ उ ६ सू २०४,ठा ३ दीर्घायु के
उ १ सू. १२५ तीनकारणनवीन उत्पन्नदेव११० १ ७६ ठा ३ उ ३ सू. १७७ के मनुष्य लोक में आने के तीन जिन
७४ १५३ ठा ३ उ ४ सू २२० १ तीन दुःसंज्ञाप्य ७५ १ ५४ ठा.३ उ ४ सू २०३ तीन प्रकार के पुरुष ८४ १६१ ठा ३ उ ३ सू १६६ तीनबोलदेवकेच्यवनज्ञान के११३ १ ८१ ठा ३ उ ३ सू. १७६ तीनबोलदेवके पश्चात्ताप के११२ १८० ठा ३ उ ३ सू १७८ तीन वोल पृथ्वी के देशत: ११६ १८२ ठा. ३ उ ४ सू १६८ धृजने के तीनबोलसारीपृथ्वीधजनेके ११७१ ८२ ठा. ३ उ ४ सू १९८ तीन भेद अंगुल के ११८ १८३ अनु सू १३३ तीनभेदआगमकेदोपकारसे८३ १६० रत्ना परि.४सू १,२,मनु सू १४४ तीनभेद आचार्य-ऋद्धिके १०२ १ ७१ ठा ३ उ.४ सू. २१४ तीन भेद आचार्य के १.३ १ ७२ रा सू. ७७ तीन भेद ऋद्धि के हह १७० ठा ३ उ ४ सू २१४ तीन भेद एपणा के ९३ १६६ उत्त अ २४ गा ११-१२
१ दु.खपूर्वक कठिनता से समझाये जाने वाले जीव ।