SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भी जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवाँ भाग १४७ विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण तप आचार ३२४ १ ३३३ ठा.५ उ.२ सू.४३२,ध अवि ३ लो ५४ पृ १४० तप आदि के फल की दस ६६७ ३ २५३ ठा १० उ ३ सू. ४५६ प्रकार की इच्छा तपः कम ७६० ३ ४४३ प्राचा.प्र २उ १ नि गा १८३ तप के बारह भेद ४७६, २८५, उत्त य ३०, उव सू १९,२०, ४७८ ८ ६ ठा.६ उ ३सू ५११,प्रव. द्वा ६ गा २७०-२७१ तप के विषय में ११ गाथा ६६४ ७ २०२ तप धर्म १६६ ११५५ भ.श २५३ ७,उत्त श्र ३० गा८ तप पद ७०३ ३ ३७४ ठा १० सू७१०,ठा ८सू ६०६ तपसमाधि के चार भेद ५५३ २ २६४ दश अ ६ उ. ४ १ तयालीस प्रवचन संग्रह १४७ १५१ उत्त दश ,माचा सूय ,प्रश्न., द प.,भ ज्ञा ,दशा ,पि नि ,धर., विशे ,प्राव ह ,उव ,,पागम , समय वृ ,पेच व,प्रतिमा तरुपतन मरण ७६८ ४ २६8 भ.श २ उ १ सू ६१ तके ३७६ १ ३६५ रत्ना परि ३ सू ७ तापसश्रमण ३७२ १३८७ प्रब द्वा ६४ मा ७३१ तिथियों के पन्द्रह नाम ८५७ ५ १४२ चन्द्र प्रा १० प्रा प्रा १४ २ तिन्तिरणक ४४४ २ ४८ ठा६ सू ५२६, ब (जी )उ ६ ३ तिरीडपट्ट वस्त्र ३७४ १ ३८६ ठा.५ उ ३ सू० ४४६ १ मिन भिन तयालीस विपयों पर भागमतथा धर्म ग्रन्थों की गाथा एव पाठों का सुन्दर सग्रह । यह सग्रह स्वाध्यायप्रेमियों के लिए अत्यन्त उपयोगी है। २ चिड़चिड़े स्वभाव वाला व्यक्ति, कल्पपलिमन्यु का एक भेद ! ३ तिरीड वृक्ष की छाल का बना हुमा वस्न ।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy