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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवा भाग १४१ जीव विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण जीभ के संयम परगाथा ६६४ ७ २१२ जीव ७ख १ ४ ठा २स १०१,तत्त्वार्थ अध्या २ १३० १९८ ठा.५सू ४३०,भ श २3 १सू ६१ जीव और कर्मका संबन्ध ५६० ३ ४७ विशे गा १६३५-१६३६ जीव और पुद्गल के लोकसे२६८ १ २४७ ठा• ४ उ० ३ सू ३३७ बाहर न जाने के४कारण जीव और शरीर के भेदा-७७५ ४ ३४ विशे गा १६ ४५-१६८६ भेद के विषय में गणधर वायुभूति का शंका समाधान जीव कमेकाअनादि संबंध५६०३ ५१ विशे गा १८१३-१८१४ जीव के चौदह भेद ८२५ ५ १८ सम.१४,प्राव इ अ.४१ ६४६ जीव के चौदह भेदों का ८२५ ५ १८ पन प ३द्वा.३,१८,१६,जी प्रति अल्पबहुत्व ४ सू.२२५ प्रसं भा २ जीव के छः नाम १३० ११८ भ श २ उ १सू १ जीव के तीन भेद ६६ १५० भ श.६ उ ३ सू २३७ जीव के पाँच भाव ३८७ १ ४०७ कर्म भा ४गा ६४-६८,अनु स १२६, प्रवद्वा २२१ गा. १२६० से १२६८ जीव के संस्थान छः ४६८ २६७ ठा ६सू ४६५,कर्म भा १गा ४० जीव तत्त्व के ५६३ भेद ६३३ ३ १७८ पन प.१, उत्तय ३६, जी जीव दस प्रकार के ७२६ ३ ४१४ ठा १० उ ३सू ७७१ जीव दम प्रकार के ७२७ ३ ४१५ ठा.१० उ ३ सू ५७१ जीव द्रव्य ४२४ २ ३ भागम , उत्त अ ३६ जीवन की अस्थिरता पर ६६४ ७ २२५ दस गाथाएं
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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