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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवा भाग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण छः संस्थान जीव के ४६८ २ ६७ ठा ६सू.४६५,कर्म.भा.१गा ४० छःसंहनन
४७० २ ६६ पनप २३सू २६३, ठा ६उ ३
सू ४६४,कर्म भा १ गा.३८,३६ छः सामान्य गण ४२५ २ १६ द्रव्य त.प्रध्या ११, प्रागम छःस्थान अनात्मवान् (सक-४५८ २ ६१ ठा ६ उ ३ सू ४६६ पाय) के लिए अहितकर छःस्थान समकित के ४५३ २ ५७ ध अधि २श्लो २२टी.पृ ४६,
प्रव द्वा १४८गा.४१ छड्डियदोप(आहारकादोष)६६३ ३ २४६ प्रब द्वा ६७ गा ५६८, पि नि
गा ५२०, ध अधि ३ श्लो
२२टी पृ ४१, पचा १३गा २६ छत्तीसगाथाधर्माध्ययनकीह८१ ७ ८७ सूय अ. छत्तीस गुण प्राचार्य के १८२ ७ ६४ प्रव द्वा ६४ गा ५ ४१-५४ छत्तीस प्रश्नोत्तर १८३ ७ ९८ छमस्थआठवातेनहीं देखता ६०२३ १२० ठा ८ उ : सृ ६१० छद्मस्थ के परिपह उपसर्ग ३३१ १ ३४० ठा.५ उ १ सू. ४०६ सहने के पाँच स्थान छद्मस्थछःवातें नहीं देखता४८९ २१.१ टा ६ उ ३ सू ४७८ छमस्थ जानने के स्थान ५२३ २ २६० ठा ७ उ ३ सू ५५० छद्मस्थ दस बातों को नहीं ७१६ ३ ३८६ ठा १० उ ३सू ७५४,भ.श ८ देख सकता
उ २ सू ३१७ छमस्थ पाँच बोल साक्षात् ३८६ १ ४०६ ठा ५ उ ३ स ४५. नहीं जानता छद्मस्थ सात बातें जानता ५२५ २ २६१ टा. ७ उ ३ सृ ५६५ और देखता नहीं है