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श्रा जनासान्त बाल सग्रह, श्राठवा भाग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण चार विनयप्रतिपत्ति २२६ १ २१३ दशा द ४ चार विश्राम
१८७ १ १४१ ठा ४ उ ३ सृ ३१४ चार विश्राम श्रावक के १८८ १ १४२ ठा ४३.३ सू.३१४ चार व्याधि २६५ १ २४७ ठा ४२.४सू ३४३ चार शिक्षात्रत १८६१ १४० पचा १ गा २५-३२,प्राव.ह.
अ ६ पृ ८३१ चारशुभ,चारअशुभ ग़ण २१३ १ १६१ सरल पिगल चार संज्ञा
१४२ १ १०४ ठा०४३०४ सू ३५६,प्रब द्वा.
१४५ गा. ६२३
चार संज्ञाओं का अल्प- १४७ १ १०७ पन प८ सू १४८ बहुत्व चार गति में चार सदहणा
१८९ १ १४२ उत्तभ २८गा २८, अधि २
ग्लो २२ टी पृ ४३ चार मुख शय्या २५६ १ २४१ ठा०४ उ०३ सू ३२५ चार स्थान क्रोधोत्पत्ति के १६५ १ १२४ ठा ४३.१सू २४६ चार स्थान गुण प्रकाश के २५६ १ २४४ ठा ४ उ ४सू ३७. चार स्थान गुण लोप के २५८ १ २४३ ठा.४ उ ४ सू ३७० चार स्थान से हास्योत्पत्ति २५७ १ २४३ या ४ उ १ सू २६६ चारित्र की व्याख्या और ३१५ १ ३१५ ठा ५ उ २सू ४२८ ,विशे गा
१२६०-१२८० चारित्र कुशील ३६६ १ ३८४ ठा ५ उ ३सू ४४५ चारित्र के भेद ४६७ २ १६४ चारित्र धर्म
१८ १ १५ ठा.२उ १ सू ७२ चारित्र धर्म ६६२ ३ ३६२ ठा १० उ ३ सू ७६ . चारित्र धर्म के दो भेद २०११५ ठा २ उ १ सू. ७२
भेद