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श्री जैन सिद्धान्त चोल संग्रह, पाठवा भाग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण चार भेद निकाचित के २५२ १ २३६ ठा०४ उ० २ सू० २६६ चार भेद निधत्त के २५१ १ २३६ ठा ४ उ०२ सू०२६६ चारभेद निर्वेदनी कथा के १५७ १ ११५ ठा ४ उ २ स २८२ चार भेद प्रायश्चित्त के २४५ व १ २२३ ठा०४७० १ सू २६३ चार भेद बुद्धि के २०११ १५६ न सू.२६,ठा० ४३०४सू ३६४ चार भेद मतिज्ञान के २०० १ १५८ ठा० ४ उ० ४ सु० ३६४ चार भेद मान के उपमा १६० १ १३१ पन्न.१ १४सू १८८,ठा ४२ २ सहित
सु २६३,कर्म भा १ गा १६ चार भेद माया के उपमा १६१ १ १२१ पन्न प.१४सू १८८या ४उ ? सहित
स २६३,कम भा १ गा २० चार भेद मोक्ष मार्ग के १६५ १ १५३ उत्त अ २८ गा २ चार भेद लोभ के १६२ १ १२२ पन प १४सू १८८,ठा ४उ २ उपमा सहित
सू २६३,कर्म भा १ गा २० चार भेद वादी के १६१ १ १४४ भश ३ ० उ १८ ८२४टी ,प्राचा,
१अ १उ १ सू ३ टी, सूय
ध्रुअ.१२ चार भेद विक्षेपणी कथा क१५५ १११३ ठा ४उ २स २८२, दश ३
नि गा १६७-१८ चार भेदशुक्ल ध्यान के २२५ १ २०६ ठा ४ सू २४७ ज्ञान प्रक ४२,
क भा श्लो २११-२१६,प्राव
ह भ ४ ध्यानशतक गा ७७-२२ चार भेद संवेगनी कथा के १५६ १ ११४ ठा ४३ २सू २८२ चारभद सामायिक के ११० १ १४३ ध मधि २ श्लो ३७टी ,विशे
गा.२६७३-२६७७ चार भेद स्त्री कथा के १४४ ११०७ ठा ४ उ २सू.२८२ टी.