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श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह,श्राठवा भोग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण , । गाथा १६ आत्मदमन पर ६६४ ७ २०७. गाथा सोलह उत्तराध्ययन८६२ ५ १५२ उत्त य १५ मूत्र के सभिक्खु अ० की गाथा मोलह कामभोगों ११४ ७ २१८ की असारता पर गाथा१६दशवकालिक सूत्र८६१ ५ १४७ दश च २ की दूसरी चूलिका की गाथा१६बहुश्रुत उपमा की८६३ ५ १५५ उत्त अ.११गा १५-३०. गाथा सोलह महावीर की ८७४ ५ १८२ प्राचा श्रु १ अ. ६ उ २ वसति विषयक गाथा सोलह शील पर ६६४ ७ १७७
गान्धार ग्राम की सात ५४० २ २७३ अनुसू १२ज्या ४१-४२ पृ... मूईनाएं
१३., ठा ७उ ३ सू ५५३
___* जैन सिद्धान्त बोल सग्रह भाग २ पृष्ठ २७३ पर गान्धार 'ग्राम की जो साल मुर्छनाएँ छपी हैं वे सगीतशास्त्र नामक ग्रंथ मे ली हुई हैं । अनुयोगद्वार तथा स्थानाग सूत्र में गान्धार ग्राम की मुर्छनागों के नाम दूसरी तरह दिये हैं। इनकी गाथा इम . प्रकार है -
नंदी अ खुद्दिा पूरिमा य चउत्थी अ सुद्धगंधारा । उत्तरगंधारा वि य सा पंचमिश्रा हवइ मुच्छा ॥ १- ॥ .
सुठुतरमायामा सा छट्ठी सव्वो य णायव्वा ।। __ अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा ॥ २ ॥
अर्थ- (१) नदी (२) नुद्रिका (३) पूरिमा (४) शुद्धगान्धारा (५) उत्तरगान्धारा (६) मुटठुतरमायामा (७) उत्तरायतकोटिमा ।