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कलकत्ता के प्रसिद्ध होमियोपैथिक डॉक्टर प्रतापचन्द्र मजूमदार से इलाज करवाया और आप स्वस्थ हुए। इसी समय से आपको होमियोपेथी चिकित्सा पद्धति में अपूर्व विश्वास हो गया । आपकी जिज्ञासा बढ़ी और उक्त डॉक्टर के सुयोग्य पुत्र डॉक्टर जतीन्द्रनाथ के पास आपने होमियोपेथी का अभ्यास किया एवं इसमें प्रवीणता प्राप्त की। तभी से प्राप होमियोपेथी साहित्य देखते रहे है एवं जनता में अमूल्य दवा वितरण करते रहे हैं। वर्षों के अनुभव ने आपको इस प्रणाली का विशेषज्ञ बना दिया है।
सेठ साहेव ने केवल धन कमाना ही नहीं सीखा पर प्राप
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विक्रम संवत् १६६६ तदनुसार सन् १६१३ ई. में सेठ साहेब ने aaarनेर नगर में किंग एडवर्ड मेमोरियल रोड़ पर एक दूकान बी. सेठिया एन्ड सन्स के नाम से खोली । नाना प्रकार के फैन्सी बढ़िया सामान और नई नई फैशन की चीज़ों के लिये यह बीकानेर की प्रसिद्ध दूकान है। यहाँ से सेउ, साहूकार, रईस और ऑफिसर लोग सामान खरीदते हैं। इसे सफलता पूर्वक चला कर सेठ साहेव ने यह दूकान अपने द्वितीय पुत्र श्री पानमलजी को दे दी । दूकान के पीछे उससे जुड़ी हुई हवेली है । सेठ साहेव ने पानमलजी को दूकान और हवेली का पूरा मालिक बना दिया है और तारीख १४-१०-१६३० ई. को इन्हों के नाम पर राज्य से इस जायदाद का पट्टा बनवा दिया है। पानपलजी ने आसपास और जमीन खरीद कर इस जायदाद को बढ़ाया है और काफी लागत लगा कर दूकान को दुबारा बनाया है जो कि नई फैशन का दुमंजिला विशाल भवन है । अभी पानमलजी और उनके पुत्र कुन्दनमलजी इस दुकान को बी. सेठिया एन्ड सन्स के नाम से ही चला रहे हैं ।
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