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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, अाठवा भाग
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विषय
बोल भाग पृष्ठ प्रमाणा गणाभियोग श्रागार ४५५ २ ५६ उपाय १ सू८,भाव ह अ.६Y
८१०,ध अधि २श्लो २२१४१ गणावच्छेदक पदवी ५१३ २ २४० ठा०३ उ०३ सू०१७७ टी गणित निमित्त आदि सूक्ष्म६४२ ३ २१३ ठा०६ उ०३ सू०६७६ वस्तुओं के ज्ञाताहनैपुणिक गणित योग्य काल परिमाणह१८ ७ २६३ अनुसू ११४,भ. श ६ २७ के छियालीस भेद
सू २४७ गणितानुयोग २११ १ १६० दश०नि० गा०३ पृ. ३ गणिविज्जा पइण्णा ६८६ ३ ३५५ द० ५० गणि सम्पदामाठ ५७४ ३ ११ दशा द ४, ठा ८ठ ३सू ६.५ गणि पदवी
५१३ २ २४० ठा०३ उ०३ सू० १७७ टी. गतउत्सर्पिणीके२४तीर्थकरह२७ ६ १७६ प्रव द्वा ७ गा २८८-२६० गत उत्सपिणी के कुलकर५१२ २ २३६ ठा ७३.३सू ५५६,सम १५७ गतप्रत्यागतागोचरी ४४६ २ ५२ ठा.६ उ.३सू ५१४,उत्तय ३०
गा १६,प्रवद्वा गा ७४५,
ध अधि ३ श्लो.२२टी.पृ ३७ गतागत के अठारह द्वार ८८८ ५ ३६८ पन प ६ के आधार से गति कीव्याख्या और भेद१३१ १ १४ पन्न प २३उ.२सू २६३, कर्म
__ भा ४ गा. १० गति दस
७२५ ३ ४१३ ठा १० उ ३ सु ७४५ गति नाम निधत्तायु ४७३ २ ७६ भश ६उ ८,ठा.६ उ ३सू ५३६ गति परिणाम ७४६ ३ ४२६ ठा १०सू ७१३, पन प १३ गति परिणाम ७५० ३ ४३२ ठा १०उ.३ ७१३,पन्न.प.१३ गति पाँच
२७८ १ २५७ ठा.५ उ. ३ सू. ४४२ गतिप्रतिघात ४१६ १ ४४० ठा. ५ उ. १ सू. ४०६