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श्री जैन सिद्वान्त वोल संग्रह, आठवाँ भाग
बोल भाग पृष्ठ
प्रमाण
८७५५ ३४६ यावह निगा १२८४, भरत.
ना. १०
त्रिप पर्व ७
श्रवह निगा १६६,३४८, त्रि पर्व १,२
८७५ ५ ३४० दश अ १ नि गा ७३-७४,
विपय
कथा सती शिवा की
कथा सती सीता की
कथा सती सुन्दरी की
कथा सती
सुभद्रा की
८७५ ५ ३२१
८७५ ५
१६०
भरत गा८
कथा सती सुलसा की ८७५ ५ ३१३ वह निगा १२८४, भरत गाला सू६६१ टी. कथा२७ औत्पत्तिकी बुद्धिकी६४६ ६ २४२ न सू २७ गा ६२ ६५ टी. कथा सयडाल की पर- ८२१४४६१ नवपद गा १८ टी पापड दोप पर सम्यक्त्वाधिकार कथा साप्तपदिक व्रत की ७८०४२४६ भाव इ निगा १३४, भाव अननुयोग पर वृनि गा. १७२ पीठिका
कथा संमा, चिलाती पुत्रकी६००५ ४७० ज्ञा
१८
वि अ. १३
थावह निगा ६५०, नं.
सृ. २७ गा. ७३
विघ ११
६१० ६ ५३ ६००५ ४५८ मा स. १२
कथा सृजातकुमार की कथा सुन्दरानन्द की पारिणामिकी बुद्धि पर कथा सुवाहुकुमार की कथा सृबुद्धि मंत्री और जितशत्रु राजा की
कथा सुवासव कुमार की ६१० ६५०
६१५६७८
कथाठ सेठ (काल) की पारिणामिकी बुद्धि पर
६१० ६
६१५ ६
७६
५८ १०५
विद्य १४
न सृ. २७ मा ७२,
भाव है निगा ६४