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श्री जैन सिद्धान्त बोल-संग्रह सातवां भाग
গাষ্ট
मप्रय
मगत्य
वीणा
खीण धरण
पायान
हल्के
वर्ण आयत
हल्के हैं • करुयोत्पादक
धाय संसर्ग
करणोत्पादक धाया संसार
होले
होने
ज्ञान
योग
योगों उडाहरण
उदाहरण पूरबी
पृथ्वी करण
कारण মাল
श्रतज्ञान रवाधिक
रत्नाधिक প্লাটি
अशक्ति नाना एवंधून
एवंभूत विपत्र
विपय अताचानीयचदर्शन श्रुतज्ञानी अचक्षुदर्शन चन्मए
चकमाए अगुणाए
अगुणगाए अनागार
अनगार सपतण
मणतेण क्योंकी
क्योंकि मस्याचु
भइयत्रो अद्धमागहाए
अदमागही
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१० ११२ ११६ १२३
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