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पुट
अशुद्ध
शुद्ध
३७
बह
B८
इकही
३
दीर्घतत्व
रकट्टी
दीर्घत्व अाकाश कुसुम
उत्पन्न
आकश कुसुम उत्पत्र
पुरुषोभु
पुरुषो
मवाश्मत
४०
कमो
मेवाश्रुते कों स्वमेव म मे
स्वयमेव
मन में
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. पर 'विपयभोग विषयभोग औदन
योदन २३ और २४ २४ और २५
टो दो
काय नियम
निगम बाले
वाले अग्रमहिविया अयमहिपिया योजन
योजन है। माराज प्रभज्जन
प्रभजन कुन्थु- कुन्युनाग भगवान् के
समय ८७ सौ मन. पर्यय
जानी थे। भगवतीआधोमाग अवोभाग वैतावृत्य
वैगानृत्य कन्युनाय
कुन्थुनाथ समूल
मृसल प्रकृति
मास
१३०
१३१
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१३२
,प्रतिया