________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, चौथा भाग -. TIPAT त्याग (4) मोसोवएसे-किसी को भूठा उपदेश देना खाटी सलाह देना। . (5) कूड़लेहकरणे-मुठा लेख लिखना, भूला दस्तावेज प्रादिक बनाना। (३)तीसरा व्रत स्थूल अदत्तादान कात्यांग / प्रतिज्ञा ___ खात खन कर, गांठ खोलकर, ताले पर कुंजी लगा कर, मार्ग में चलते हुए को लूट कर, किमी दूसरे की चीज को उसके स्वामी की आज्ञा के बिना लेकर चोरी करने का मैं यावज्जीवने" दो करण तीन योग से त्याग करता हूं। ' तीसरे व्रत के पांच अतिचार. तेनाहडे-चोर की चुराई वस्तु को लोभ वेश अल्पमन्य से खरीदना। (२)तक्करप्पोगे-चोर को चोरी करने में सहायता देनी। (3) विरुद्धरजाइक्कमे- शत्रु राजाओं के राज्य में उनकी आज्ञा के बिना आना जाना। (4) कूड तुन्ल कूडमाणे- तोलने के बांट और नापने के गज वगैरह हीनाधिक रखना। (5) तप्पडिस्वगववहारे-बहुमूल्य बढ़िया "वस्त में" मूल्य वाली घटिया वस्तु मिला कर बेचना अथवी असली वस्त... दिखा कर नकली देना या नकली को ही असली-नाम-सेवेचना। ".SIL. 'भलप