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श्री सेठिया जेन प्रन्थमाला - दिया । राजा के पास थूकने के बर्तन आदि को उठाने वाली एक कुब्जा दासी थी । इशारे और हृदय के भावों को समझने में वह बहुत चतुर थी जमीन पर थूकने से वह समझ गई कि राजा अब इस स्थान को छोड़ देना चाहता है। कुब्जा ने राजा के दिल कीवात स्कन्धावार (सेना) के अध्यक्ष को कह दी । वह कुब्जा को बहुत मानता था। राजा के जाने के लिए तैयार होने से पहले ही उसने हाथी घोड़े रथ आदि सवारियाँ सामने लाकर खड़ी कर दी। पीछे सारा स्कन्धावार चलने के लिए तैयार हो कर भागया। सेना के कारण उड़ी हुई धूल से सारा आकाश भर गया।
राजा ने सोचा- मैंने अपने जाने की बात किसी से नहीं कही थी। मेरा विचार था, थोड़े से नौकर चाकरों को लेकर सेना के आगे आगे चल, जिस से धूल से बच जाऊँ। किन्तु यह तो उन्टी बात होगई। सेना में इस बात का पता कैसे चला ? ढूंढने पर पता चला कि यह सब कुब्जा ने किया है। उससे पूछने पर कुब्जा ने थूकने आदि का सारा हाल सुना दिया।
रहने के स्थान में थूकना अननुयोग है। इसी कारण राजा की इच्छा पूरी न हुई। ऐसे स्थान में न थूकना, उसे लीपना तथा साफ रखना आदि अनुयोग है।।
इसी प्रकार भरत आदि क्षेत्रों के परिमाण को गलत बताना, जीवा, धनु पृष्ठ आदि के गणित को उल्टा सीधा करना क्षेत्र का अननुयोग है। इन्हीं बातों को ठीक ठीक वताना अनुयोग है,अथवा प्रकाश प्रदेश आदिको एकान्त नित्य या अनित्य बताना अननुयोग है। नित्यानित्य रूप चताना अनुयोग है।
(३) काल के अननुयोग तथा अनुयोग के लिए स्वाध्याय का उदाहरणएक.साधु किसी कालिक सूत्र की स्वाध्याय उस का समय