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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला एवं संथप क्रिया में निपुण कोई साधु न मिले तो साधु शुद्ध संयम का पालन करता हुआ अकेला ही विचरे किन्तु शिथिलाचारी साधु के संग में न रहे।
(१२) वचन सूत्र-जिस सूत्र में एक वचन, द्विवचन और बहु - वचन का पतिपादन किया गया हो उसे वचन सूत्र कहते हैं। जैसे--
'एगवयणं वयमाणे एगवयणं वएजा, दुवयणं वयमाणे दुवयणं वएज्जा, बहुवयणं वयमाणे बहुवयणं वएज्जा, इत्थीवयणं वयमाणे इत्थीवयणं वएज्जा' ___ अर्थात्-एक वचन के स्थान में एकवचन, द्विवचन के स्थान में . द्विवचन, बहुवचन के स्थान में बहुवचन और स्त्रीवचन के स्थान में स्त्रीवचन का कथन करना चाहिए।(बहत्कल्प उद्देशा १ भष्यगाया १२२१ ) ७७६-भाषा के बारह भेद
जिसे वोल कर या लिख कर अपने भाव प्रकट किए जायें उसे -भाषा कहते हैं। इसके बारह भेद हैं
(१) प्राकृत (२) संस्कृत (३) मागधी (४) पैशाची (५) शौरसेनी और (६) अपनश। इन छहों के गद्य और पद्य के भेद से बारह भेद हो जाते हैं।
(प्रश्नव्याकरण टीका संवरद्वार, सत्यवत) ७८०- अननुयोग के दृष्टान्त बारह
द्रव्य, क्षेत्र, काल भाव आदि के द्वारा सत्र और अर्थ के सम्बन्ध को ठीक ठीक बैठाना अनुयोग कहलाता है। अपनी इच्छानुसार विना किसी नियम के मनमाना अर्थ करना अननुयोग कहा जाता है। अननुयोग से शब्द का अर्थ पूरा और यथार्थ रूप से नहीं , निकलता और न निकलने से प्रयोजन सिद्ध नहीं होता। इसके लिए बारह दृष्टान्त है