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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manuscripts (Pūjā- Pajha - Vidhāna )
१९८५. शिखर - विलास - पूजा
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Colophon⚫
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जेठ शुक्ल चतुर्थ दिवम
घ्यावे मो सुख पावे
पूजा सम्पूर्णम् । लिखते सीकर
इति श्री शिखर विलाम जी की मध्ये मिति फाल्गुन सुदि अठाई सवत् १९४२ | का लिखते ठराज दिवाण जी सुखलाल जी का पोता भूल चूक सुद्र करो । विशेष—इसके Closing के पहले का बहुत से पत्र गायब है ।
१९८६. सील - बत्तीसी
मीलवतीसवर्णव
हरिहर इद नरिद नरसुर जप हिए कान्ताजेन नारी ।
सजम धरम सुगण अकू जपहि जसु ते हरि ॥ इति सीलवतीसी ममाप्तम् ।
Colophon.
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G
4000
२६६
करिके वहुत उछाह ॥
रामचंद्र निति सिरनावे ||
1
सदा सुमरी रिसहेश्वर 19||
१९८७. सिंहासन - प्रतिष्ठा
श्रीमद्वीर जिनेशाना प्रणिपत्य महोदयम् । नव्याशनस्य सूत्रेण शुद्धि वक्षे यथागम् ॥ नेत्रे द्वद्वरुजाविनाशनकर गात्र पवित्रीकरम् वात पित्तकफादिदोषरहित सूत्र च सूत्र भवेत् । पाप कर्म कुरोगनाशनपर राहुक्षय कुर्वते, श्रीमत्पार्श्व जिनेन्द्रपादयुगल स्नानस्य गंधोदकम् ।
इति शांतिधारा सम्पूर्णम् । शुभमस्तु | पोपमा शुक्लपक्षे
तिथौ ६ संवत् १६५५
श्री द पुस्तक लिखावा भगवानदीन
पडित ।
देखें, जं. सि. भ ., क्र. ९६४ ।