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Catalogue of Sanskrit, Praktit, Apibhran; 1 & Hindi Manuscripts (Pūjā- Pātha-Vidhāna )
१९७०. सिद्धपूजा
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देखें, क्र० १ε६५ ।
जगात चढावे मन लगात्रं प्रीति सौं ।
बस्याल चन्द कहें कहा लों जस जिनो का रीतम । जे नाम अक्षर जप हरवं धन्य ते नरनारि हैं ।
प्रभु पतित तारन दुख निवारन भगत को निरतार हैं । इति श्री सिद्धपूजा जी समाप्तम् ।
१९७१- सिद्धपूजा
देखे, ऋ० १९६५ |
देखें, क्र० १६६५ ।
इति सिद्धपूजन प्रतिज्ञा सम्पूर्णम् ।
१९७२. सिद्धपूजा
देखें, क्र० १६७० ।
देखें, क्र० १६७० ।
इति श्री सिद्धमहाराज की पूजा सम्पूर्णम् ।
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१९७३. सिद्धपूजा
देखें, क्र० १९६५ ।
सिद्ध वरं ससार, सिद्धन की पूजा करो । आवागमन निवार, मन वच तन पूजा करो ॥ इति सिद्धपूजा सपूर्णम् ।