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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah.
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देखे, ऋ० १९२० । इति ऋषिमडल पूजा समाप्ता। शतत्रयाशीभि श्लोक प्रथाअथ । सवत् १९५६, वैशाख कृष्ण ८ मगलवारे लि० ।
१९२२ ऋषिमडल-पूजा
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देखे, ऋ० १९२० । देखें, ऋ० १९२० । इति ऋषिमडलपूजा विधि समाप्तम् ।
१९२३. ऋषिमंडल पूजा
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देखे, ऋ० १९२० । देखे, ऋ० १६२० । इति श्री ऋषिमडलपूजा समाप्तम् ।
१९२४ सहस्रनाम-पूजा
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पचपरमगुरु कोनमो उर धरि परम सुप्रीति । तीरथराज जिनन्द जी, चोवीसो धरि चीत ।।१।। सम्वत् विक्रम भूप के जुग गतिग्रह ससि जान । यह रचना पूरी भई मगल मुद सुखथान ।। सिखिरच द कृत पाठ यह वन्यो अनुपम रास, जो पढसी मन लाय के पासी अख्य सुवास ॥ इति श्री जिनसहस्रनाम पूजा सम्पूर्णम् । शुभमस्तु । मिति पौषशुद्ध ८ बार सुभ बुध समत् १९४२ । को पूर्ण हुई सों जयवत प्रवत्तों। श्रीकल्याणमस्तु । शिखिरचद अग्रवाल गोइल गोती कवि श्री वृदावन के लघु सुअन कृत जयवत्तौ।
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