________________
२६६
श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah
१८७६. पचमंगलपाठ
Opening : Closing : Colophon :
देखें क्र. १८६६ । देखे, ऋ० १८६६ । इति पंचमगल सम्पूर्णम् ।
१८७७. पचमेरु-पूजा
Opening
Closing | Colophon
देखे, ऋ० १८७८ । ॐ नंदीश्वरद्वीपवावनजिनालयस्थ जिनेभ्यो नम ।
नही है।
१८७८. पचमेरु-पूजा
Opening :
Closing :
सवौषडाहूयनिवेश्य ताभ्या सानिध्यमानीयपड्परेन, श्रीपचमेरुस्थ जिनालयाना यजाम्यशीति प्रतिमासमस्ता ॥१॥ पचमेरु की आरती पढे सुनै जो कोय । द्यानत फल जाने प्रभु तुरत महा सुख होय ।। इति श्री पचमेरु जी की आरती भाषा सम्पूर्णम् ।
देखे, ज. सि. भ. ग्र० I, क्र. ८६१
Colophon :
१८७६. पंचमेरु-पूजा
Opening :
Closing ! Colophon :
देखे, ऋ० १८७८ । देखे, ऋ० १८७८ । इति पचमेरु की आरती समाप्तम् ।