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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manuscripts
(Pija-Patha-Vidhāna)
Colophon .
इति कलिकुण्ड पूजा जयमाला सम्पूर्णम् ।
१८०८. कंजिका-व्रतोद्यापन
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चिद् प चिदानन्द अपर निर्जर परम् । शान्त कर्मातिग पूत पुराण पुरुषोत्तमम् ।।
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अतुलगुणसमग्र स्वर्गमोक्षापवर्गम्, त्रिभुवनपरिरिद्धि. प्राप्तसर्वे प्रसिद्धिः । नमति सुजमकीति कोमलाकीर्त्य-कीति , रतनविवुधसातै पातु व मुक्तिकातं ॥७७॥
Colophon:
इति कजिकाव्रतोद्यापन समाप्ता श्रीरस्तु । शुभ अस्तु ।
विशेष
इसके आगे पूजा सामग्री विवरणिका भी है।
१८०६. कर्मदहनपूजा
Opening •
Clo-ing
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लोक सिखर तनछाडि अमूरत ह रहे, चेतन ग्यान सुभाव गेयते भिन महे । लोकालोक सो काल तीन मबविधि:धी, जानि सो सिद्ध देव जजौ - हुश्रुति बनी ॥ पुत्र प्राप्त करि भाद्धिसुतरी रोगाग्निधाराधरी, पापातापहरि प्रबोध सुचरी वत्रीन्द्रभूसोदगे। आनन्दाद्भुत धन्य धाम नगर। मायामय मा री, चामाभवतो शिवस्य भवतु श्रेयस्करी शकरी ॥ इति श्री कर्मदहनपूजा समाप्तम् ।
Colcphon :