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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah
Closing !
गुरोभक्ति गुरोभक्ति. गुरोभक्ति सदास्तु मे । चारित्रमेव समारवारण मोक्षकारणम् ॥२५॥ नही है ।
Colophon :
१७५४ देवपूजा
Opening :
Closing ! Colophon विशेष
देखे, क्र. १७४६ । ॐ ह्री नर्मलयमतिज्ञानप्राप्तेभ्यो अर्घम् ।। अनुपलब्ध्र । इसमे चन्द्रप्रभु पूजा मतिज्ञान पूजा के अधूरे पत्र भी है।
१७५५ देवपूजा
Opening । Closing .
देखे, क्र. १७४६ । मिथ्यात तपन निवारण (न) चद समान हो। अज्ञान तिमिर कारण भान हो।। काल कषायन मिटावन मेघ मुनीस हो । द्यानत सम्यक् रतन त्रैगुन ईश हो ।।१४॥ इति वियालीस बोल आरती समाप्तम् ।
Colophon:
१७५६. देवपूजा
Opening | Closing
देखे, ऋ० १७४६ । अणादि काल के जे कुवादि तिन के मिथ्यात कू दूरि करने वाले चउबीस तीर्थ कर है तिनहिं पूज हू। इति श्री चतुर्विंशति तीर्थ कर जयमाल । ॐ ह्रीं श्री ऋपभादि वर्द्धमाने नमः।
Colophoni