SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 412
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०६ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah तत्प्राप्नोति पर पद स्मतिमानानदमुद्राकित. ॥ इति चमत्कार आदिनाथ स्वामी पूजा सम्पूर्णम् । Colophoni १६७५ आदिनाथ-पूजा Opening सुप मदुपमतिथि मेटि कम प्रभु थापहि, नृप पद तजि वैराग्य ___ भये प्रभु आपही। ऐसो आदि जिनेश आदि तीर्थ करा, आह्वाहन विधि करु विविध नमके परा॥ Closing यह निज सार अपार जो भविजन कठधरिई । तेनिजर मरणावलि नासि भवावलि रामचद्र सिव तियपाई ।। इति श्री आदिनाथ जी की पूजा समाप्तम् । Colophon. १६७६. आदित्यवार-पूजा Opening ! इक्ष्वाकुबमकुल मडणअश्वसेनो तहल्लम, प्रतिवताजिनवामदेवी। तसा जिन विमलभूति सुरेन्द्रवद्य त्रैलोक्यनाथ जिनपार्श्वपद नमामि ॥१॥ Closing । इति रवि व्रत पूजा सुरपद पूजा जे करते नव वर्ष सही । मनवचक्रमधावहि सो सुरपद पावही पार्श्वनाथ 'फल देतसही ॥ Colophon | इति रविव्रत पूजा समाप्तम् । १६७७. आदित्यवार-उद्यापन Opening . श्री नाय' प्रगमामि नित्य, सुरसुरै पूजितपीठवद्यम् । रविव्रतोद्यायनक प्रवक्ष्ये भव्याय नून महतादरेण ॥१॥
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy