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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramśa & Hind Manuscripts
(Stotra )
१६०१. ऋषिमंडल-स्तोत्र
Opennig
Closing Colophon
Opening
Closing
Colophon विशेष
Opening
Closing
Colophon
•
Opening :
Closing :
Colophon
देखे, क्र० १५६६ |
देखे, क्र० १५εε|
इति श्री ऋषिमडलस्तोत्र समाप्तम् ।
१६०२• ऋषिमडल-स्तोत्र
देखे क्र० १५६६ ।
दृष्टेणार्हतेविवे भवेत्मप्तमके ध्रुव । पदमाप्नोति विश्रस्त परमानदसपदा |
इति रिपीमडल स्तोत्र सपूर्णम् । इसके साथ एक मत्र भी लिखा है ।
१६०३. ऋषिमडल-स्तोत्र
आद्य पद शिरोरक्षेत्पर रक्षतु मस्तकम् ।
तृतीय रक्षेन्नेत्रे चतुर्थ रक्षेच्च नासिकाम् ||६||
यावच्चद्रामा च
सद्विमानाकुलागा ।।
अनुपलब्ध ।
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१६०४ साधु वदना
श्री जिन भाषित भारती सुमिरि अनि मुषराग । कहो मूलगुन साधु के परमिति विशति आठ || अट्ठाईस मूलगुन जो पाले निरोप |
सो मुनि कहत वनारसि पावै अविचन मोक्ष ॥
इति साधु वदना समाप्ता ।