________________
१५२
श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah.
Col phon :
इति श्री कुमुदचद्राचार्यविरचित श्री कल्याणमदिरस्तोत्र समाप्तम् ।
१४८५. कल्याणमदिर-स्तोत्र (सटीक)
Opening : Closing ।
देखे, ऋ० १४७६ । अस्मिन् श्लोके स्तोत्रकर्ता कुमुदचद्राचार्यस्य नामोऽपि प्रकटो जात । इति कुमुदचद्राचार्यकृत कल्याणमदिरस्य अर्थावत्रोध टीका पडित शिवचद्र निििपता अलमगमत् ।
Colophon
१४८६ कल्याणमदिर-स्तोत्र
Opening :
Closing :
परमजोति परमातमा परमज्ञान परवीन । वदी परमानन्द मै सो घट-घट अतरलीन ।। यह कल्याणमदिर कियो, कुमुदचद्र की बुद्धि । भाप। कियो वनारसी, कारण समांकत शुद्ध । इति कल्याणमदिर पूरन ।
देखे, जै० सि० भ० न० I, ऋ० ६६१ ।
Colophon
१४८७. कल्याणमंदिर-स्तोत्र
Opening .
श्री नवकार जपो मन रग श्री जिनशासन सार री माई। सर्व मगल मै पहिलो मगल जपतां जय जयकार री माई ॥१॥ देखें, ऋ० १४८६ । नि श्री कल्याणमदिर भापा मपूर्णम् ।
Closing : Colophon :