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१३५ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhransa & Hindi Manuscripts
(Stotra)
Opening Closing . Colophon •
१४२६ चतुर्विशतिसतोत्र देखे, '२० १४२७ । देखें, क० १८२७ । इति चतुर्विगति स्तोत्रम् ।
१४३०. चतुर्विशति-जिन-सतोत्र
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आदिनाथ जगताय अरनाथ नयानमि । अजित जितमोहारि पावं वद गुणाग रम् ॥१॥ भवभिसुखमनेक तम्य यो मानवश्च विमलमतिमनिय स्तोत्रमेतद्वितद्र. । पठति परमभरत्या प्रातमत्याय शश्वत, मुनिरमिकृतभक्तिर्मेघराजो वभाण ॥८॥ इति श्री चतुर्विशति जिनान स्तोत्र समाप्तम् ।
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१४३१. चौवीस-तीर्थ कर-पद
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अब मोहि तारी दीनदयाल सब ही मत देखें। मै जित तित तुमही नाम रसाल ||१॥ अव ।। पाठक श्री मिद्धिवर धन सदगुरु विलास, पाठक तिहि विध मा श्री जिनराज मल्हाए । ५। इहि ॥ इति श्री चौवीस तीर्थकराणा पदानि मपूर्णम् ।
Colophon .
१४३२. चिन्तामणिरातोत्र
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किं कर्पूरमय सुधारममय किं चद्ररं चिर्मयम्,