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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab.
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इति सुखबोधार्थमालापद्धतिः । श्री देवसेनपडितविरचिता नयचऋपरिसमाप्ताः।
११४७. नयचक्र
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देखें, ऋ० ११४६ । देखें, ऋ० ११४६ । इति सुखवोधार्थमालापद्धति श्री देवसेनपडिन विरचिता । इति श्री नयचक समाप्तम् ३०६ श्लोक अनुष्टुप निश्चयेन । इति श्री।
११४८ नयचक्र वचनिका
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वदो श्री जिन के वचन स्यादवाद नयमूल' । ताहि सुनत अनुभव तहाँ है मिथ्या निरमूल ॥१॥ सत्रह में छबीर के सवत् फाल्गुन मास । उजनी तिथि दशमी जहाँ कीनो वचन विलाम ।। इति श्री नातयगदास हेमराज कृत नयवक वनिका समाप्तम् । देखें,०सि० भ० ग्र० I, ऋ० २६६ ।
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११४६. नयचक्र वचनिका
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देखे, ऋ० ११४८ । देखें, ऋ० ११४८ । इति श्री नयचक्र पंडिन नरायनदाय उपदेशशिष्य हेमराज कृत सामान्य वनिका सपूर्णम् । इति श्री नयचक्र जी की वचन का सम्पूर्णम् । मिति ज्येष्ट वदि ६ । वुधवार । संवत् १९६२ मुा। चंदेरी।