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श्री जैन सिद्धान्त भदन ग्रन्थावली Shii Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah
Closing :
__... - "तेजकाय वायुकाय विषेभी उपजे है ऐसे चौवीस
देडकनि का कथन लिख्या सो त्रिलोकसार " आदि ग्रन्थनि ते सोधि करि लेवे । अनुपलब्ध ।
Colopbon.
१०९३. चौबीसठाणा
Opening :
Closing .
गइइदिय च काए जोए वैए कपायणागैय । सयमदसणलेस्सा भब्विया समत्तसण्णिाभाहारे ।।१।। अपकाय । वायकाय । तेजकाय । पृध्वीकाय । वनस्पती। वैइन्द्री । तेइन्द्री । चौइन्द्री । जलचर । पंक्षी । चौपदा । उरपद । देव । नारकी । मनुष्य ।
Colophon -
दोहा
इति श्री चौवीस ठाना की चरचा सम्पूर्णम् । मिति पौष कृष्ण बुधवार । सम्वत् १८७४ । करि कटि ग्रीवा नयनदुख तनदुख बहुत सुजान । लिख्यो जाति अति कवित त सब जानत आसान ।। शुभ भवतु ।
१०६४ चर्चा-संग्रह
Opering
धर्माधुरंधर आदि जिन, आदि धर्म करतार । जमू देवघरण ते सर्व विधि मंगलसार ॥१॥
Closing :
एक-एकपाखंडी के उपरि एक एक अप्छरा नृत्य करें ऐसे सब मिलि संताईस कोड होय छ ऐसा जानना ।
Colophon!
इति चर्चासंग्रह समाप्तम् । शुभं भवतु । देखें, जै० सि. भ. प. I, ऋ० १९५॥