________________
११ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts
( Purana Carita, Katha) तेल चढावन को जुबती अपने-अपने कर थाल सचो है, नेग कर सव व्याहन को घर मडेप चित्र विचित्र खिंचो
है 1१॥ Closing मेम कुमार ने जो गली घो दिन छपन लो छदमस्त रहो है,
केवल ज्ञान भएंव प्रभु को तब आठवी भूत महानुमहो है, सात सै वर्ष विहोर कोको उपदेश,ते धर्म म्हातुमही है, निर्वाण गये मुनि पात्र से छपप लाल विनोदिने संग
पही है। Colophon: इति श्री नेमनाथ जी काच्याहुला सपूर्णम् ।
१०३४. नि.काक्षित-गुणं कथा
Opening :
Closing .
प्रनमू आदि जिनेद को फुन गुरु गौतमराय । सारदभाय प्रमादतै करू का मन लोय ॥१॥ नि काक्षित गुन की कथा भै रे कही बखान । भो निह कर पाल है, पावै शिव पद थान ।। इति नि काक्षितगुन कथा समाप्तम् ।७६१
Colophon .
१०३५. निशल्याष्टमो कथा
Opening : 'Closing .
देखे, के०५०३६ काप्टीमघ कलावरचद, श्री भूषण गुरु परमानन्द । लस पद पक्न मधु करतार, ज्ञानसमुद्र क्थो कह
विचार ॥६॥ इति निन्याष्टमी कथा।। इसमे निर्दु ख सप्तमी कथा भी है ।
Colophor विशेष
२०३६ निर्दोषसप्तमी कथा
Cpening
श्री जिनचरण कमल अनुसरू, सारद निज गुरु मनमेधरू । निरदोष सप्तमीकी काथम, बोलो निगम के यथा ॥१॥