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Catalogue o' Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manuscripts
( Purāna. Carita, Kathā )
१०२७. हरिवशपुराण
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सिद्ध सपूर्ण तत्वार्य सिद्ध कारणमुत्तमम् ।। प्रशस्त दर्शनज्ञान चरित्रप्रतिपादनम् ।। सकोडी कर चरणे उमग्रीवा महो मुहादि ।। हीज सुपावं लहो त सुह पावेहि तुह्य हु जनए ।। इतिश्री हरीवस पुराण की भाषा चौपाई वध सपूर्णम् । देखें, जे०सि० भ० म०, क्र० ४६ ।
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१०२८. हरिवशपुराण देखें, १० १०२७ । ....... और अरिष्ठा पाच नरक उस विषे इदन की भूमि की मुटाई कोस ३ । और श्रेणीवद्धो की कोस ४ । और प्रकीर्णको की कोस सात ७॥ २१॥ अनुपलब्ध
Colophon
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१०२६. हरिवंशपुराण महाधीर बहुश्रुत विराजे श्रुतकेवली जिनश्रुतका व्याख्यान कर और वा मडप के समाप चार मडप " . • देवते मनुष्य होय निरजन पद पावंगी मातवी पटरानी गौरी ..... । अनुपलब्ध
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१०३०. जम्बूचरित्र
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श्री अरिहत नमो सदा, अरी न आवै पास । . अष्टकर्म दूरे टले आठो गुन परकास ।।
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