________________
श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Bhri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah
।" "
Colophon :
你
Opening :
Closing t
HT
Colophon :
Opening
Closing
Colophon
इनि वृहदन्हवण विधि समाप्तम् ।
९८६ - वृहत् शान्तिपाठ
समाप्तम् ।
पुष्कर्ण ॥
f
प्रनित्य जिनान् सिद्धान् आचार्यान्पाठकान् यतीन् । सर्वशात्यमानाय पूर्वक शाति कि ब्रुवे ॥
1,
यावन्नेरू महिमात्रन्, यावच्च्चद्रा कतारका' | तावद्भद्राणिरश्यन्तु शतिक स्नानमुक्तमा ॥
इति श्री पडिताचार्य विरचिते श्री धर्मदेवकृत शांतिक पाठ माघकृष्णपक्ष १० मवत् लिपिकृत ब्राह्मणगगाव रुसश्री ॥
६०. बिम्बनिर्माण विधि
प्रथम नमो अरहन्त को नम सिद्ध अरु साध । कथन केवली वृष नमो हरो सकल भवव्याध ॥
*** अथवा जे कृत्रिम होन ते अरहत प्रतिमा अकृत्रि होय ते सिद्ध प्रतिमा कहिये । इति !
६६१. चौबीस दण्डक
..
".. In शुक्ल २ शुक्रवार वीर स० २४६२ विक्रम संवत् १६६२ । जैन सिद्धान्त भवन बारा के लिए लिखा ।
श्री शुभ मिति पौष
ह० रोशनलाल जैन |
~*^*
Opening
ताका अर्थ
: अथ चौबीसडक चौपाई यंत्र दोनतरामकृत अनेक ग्रन्थनिका आशय य. विशेषरूप लिखिए है
Coleing 1419 ऐसें चौबीस दण्डकन का ear feart at त्रिलोकसारमूलाधार आदि ग्रन्थनितें सोधि शुद्ध करिलेवे । - नही है ।
Colophon 1-1
71