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श्री जैन सिद्धान्त भवन प्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab
मैं पालीटाणा जैन दिगम्बर कार्यालय का मुनीम घरमबद
हस्तक लिखवाया। ९५७. शान्ति विधान
Opening : सारासारविचार करि तजि सशृति को भार ।
धाराधर निजध्यान की, भये मिन्धु भवपार | Closing : सम्बत् शन उगणीस दश श्रावण मप्तमि सेत ।
सरूपचद मुनि भक्ति वसि रची स्वपर दिए हेत ।। Colophon : इति वृहत गुरानी पूजा शातिक विधान सम्पूर्णम् ।
६५८: शान्ति विधान Opening : देखें, ०६१९ / - Closing :
. चैत्यादि भक्तित्रय चतुविशतिजिनेन्द्रस्तवन पठित्वा पनांग प्रणम्य न स्नेहाच्चरणमित्यादि शान्त्यष्टक पद स्वीकार च गोकगे.
गबुध । Golophon : इति हवन विधानमासीत्। शुभमस्तु ।
९५९. शांति धागा . • Opening. : उ ह्रीं श्रीं क्ली "
Closing . , . सर्वशांति तन्ति पुप्ति कुरु-कुरु स्वाहा ।। Colophon • इति लघु शांतिमत्र चाय १०८ निज संवत् १९४७ ॥ . भास वैशाख शुक्लपक्षे तेरस्याम् ॥१॥
९६०. सिद्धपूजा .. Opening: देखें, ऋ० ८१५॥ Closings असमसमयसारं ... मोभ्येति मुकि। Colophons . इति श्री सिद्धपूजा जी सपूर्णम् ।।
देखे, (१) दि. जि, प्र. र.,३००।
१६१. सिद्ध पूजा ...
Opening :
सिद्ध अनन्त सगुणमयी शुद्ध सरूपी देव। सुरनर नृपं नित ध्यान धरि प्रणमो करि बहु सेक ।।