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पार्जन सिद्धान्त भवन अन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arroh
८६६. पंचपरमेष्ठी पाठ Opening ! देखें, ३० ६६२ । Closing ! देखें, ऋ० ८९३ । Colophon! इति,श्री, पचपरमेष्ठी पाठ संस्कृत श्री यशोमंदि आचार्य
कृत संपूर्ण ॥श्री शुभ सवत् १९३५ शाके १८००॥ चैत्रशुक्ल
गतुउपरि पचम्या रविवासरे भवरात्र शुभ दिन ।। सात वजे - दिन को लिखकरे तैयार भया ॥
सन्दर्भ के लिए देखें, 6 |
८६७. पंचकल्याणक पूजा
Opening
सिद्ध कल्याणवीज कलमलहरण पंचकल्याणयुक्तम् । स्फूर्जदेवेन्द्रवीज्यमुकुटमणिगणदिप्रियादारविदम् ॥ भक्ता नत्वा जिनेन्द्र सकलसुखकर कर्मवरलीकुठारम् ।
सर्वह पूजन व प्रवलभवभय शान्तिये श्री जिनानाम् ।। Cloving
त्रैलोक्येषु महोपरोद्भवसुख संसारकवाद्भुतम् ॥
मोक्षचापिदिशेतु 4 जिनवरा सर्वा त्मना सर्वदा ॥१॥ Colophone इति श्री पंचकल्याणकपूजा संपूर्णम् ॥
वारमा शुभस्थानेगगातटनिवासित लिखितत्वाशिवप्रसादेन , विप्रवशेन • धीमता ॥
देखें-(१) दि० जि० ० २०, पृ० ११४ ।
(a) Catg of Skt. & Pkt, Ms., P. 662.
.९८. पंचकल्याणक पूजा
Opening ! - ८९७ Closing देखें, 20 ६९७ ॥
इति श्री पंचकल्याणक पूजा जी 'सम्पूर्णम् । श्रावणमास अप तियो १३। मंवत् १६५३ ।।
Colophon