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________________ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripta ( Puja-Patha-Vidhāna ) Colophone इति विनय सपूर्ण। .. - विशेष-नित्य करने वाली पूजाएं इसमे सकलित हैं । ६८६. नित्यनियम पूजा । विशेष--प्रारम्भ के पत्र जीर्ण है तथा अन्तिम पत्र अनुपलब्ध है । १७. नित्यनियम पूजा संग्रह Opening! जय जय जय णमोऽस्तु णमोऽस्तु --- । Closing : कीजे सकत समान।. ...... सुख भोगवं ।। Colophon इति भाषा आरती सम्पूर्णम् । ८८८. निर्वाण पूजा Opening: ॐ नम सिद्ध भ्यः इत्यादि स्थापना । Glosing : से पठतियाल णिन्युईकट भावसुद्धीये । भुजीवि परसुरसुक्ख वाच्छा सो लहई णिव्वाण ॥ Colophon: इति श्री निर्वाणकार सम्पूर्णम् । कार्तिकशुक्ल २ सवत् १९३५ भोम-शुभम् । . . . __८८६. पंचमंगल Opening : . . पनविविपच परमगुरु गुरु जिन शासन । . ... - । सकल सिद्धिदातार सुविधनविनाशन ।। . . सारद अरुगुरु गोतम सुमति प्रकाशन । i... मगल करि च सगहि पाप प्रनासन ।। Closing : ' . पाये तो आठो सिद्धि : :. सिनमये ।। Colophont , इति पंचमगल सम्पूर्णम् । . . . २०. पंचमीवतोद्यापन Opening श्रीमन्छनाघ्ररसनाच्चितपाद पद्म, पपासनं हरि निधाय पद स्वभावाम् ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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