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Catalogue of Sanekr Prakrit. Apabhramsha & Hindi Manuscripts ( Puja Patha-Vidhāna )
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भयकर्म ताकी होय उद सुनि भाई रे । तत्र जिय उरकपाय चेत मन भा
नही है ।
८६५. कर्मडन पूजा
देखें क्र० ८ ६४ ।
इति श्री कर्मदहन पूजा पाठ ममाप्तम् । मिती वैशाख कृष्ण परिवा ( प्रतिपदा ) को विमलदास ने चढाया ।
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प्रमो सिद्ध सिद्ध कार, भक्तिं महा मनलाय | पूजो सो शिवसुख लहैं, और कहा अधिकाय ॥
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८६६. कर्मदहन पुजा
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सकलकर्म विमुक्ताय सिद्धाय परमेष्ठिने । नमोनेकातरूपाय सिद्धाय शिवसणे ॥
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८६७. कर्मदहन- पूज
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आनदाद्भुतधन्यधामनगरी मा पद्मपद्माकरी | चर्चा मा भवता शिवभवतु श्रेयस्करी शकरी ॥ इति श्री कर्मदहनपूजा समाप्ता ॥
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देखें—(१) दि० जि० ग्रं० २०, पृ० १७६, १७७ ।
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श्री सम्वत् १६५१
शीतलप्रसाद के पुत्र intel'
(२) जि० २० को०, पृ० ७१
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(२) आ० सू० पृ० २२ ।
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~ (४) Cafg.:' of 'Skt. & Pkt. Ms.; P25 631,
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ॐ उर्द्धा षोरयूत "-" ॥ विशेष-अपूर्ण