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२८७ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts
( Pūjā Pasha-Vidhana )
८५६. जिनप्रतिमा स्थापन प्रवन्ध
Opening : श्रीजिन वदउ चौवीस, सविगणघर नइ नामु मीस ।
श्री सदगुरुना चरण नमेषि, मनि समारु शारद देवि ॥ Closing
सबत् सोलसतोतर कार्तिक शुदि तेरसि वारइ गुरइ । भणता गुणता अणद करप, नदउजा जिन धर्म
विस्तरइ ।।६१॥ Colophon :
इति श्रीमहाविरचिते गिनप्रतिमास्थापनप्रवधै सम्पूर्णम् ।
८६०. जिनपुरदरवृतोद्यापन Opening : श्री मदादिजिनं नौमि पचफरयाणनायक ।
इंसादिभिर्देवगणे पूजित्त अप्टधाश्च ते ।। Closing: धर्मवृद्धि जयमगलमान राज ऋद्धिप्रददाति समाज जपापताप
दुःखरोगविनाप कुर्वते जिनपुरदरखासः । इत्याशीर्वाद, । Colophone इति श्रीजिनपुरदरपूजा उद्यापन समाप्तम् । मिति मार्ग
शिर (गोर्ष वदो । भौमवासरे सम्वत् १९३२ लिखत रामगोपाल ब्राह्मण।
८६१. फलिकुड पार्षनाथ पूजा Opening : __ हूँफार ब्रह्मरुद्र - - ।
... विद्याविनासे प्रयुक्तम् ॥१॥ Closing : तरलतरो - . .
राजहसोवाताह ।। olophon:
इति कलिकुछ स्वामी पूजन सम्पूर्णम् । ८६२. कलिकुडल पुजा
Opening |
कार ब्रह्मरुद्र स्वरपरिकलित वजरेवाष्टभिन्न, चजस्यानातराले प्रणवमनुपमानाहत ससृणि च । वर्ना ताद्यानसपिंडान् --
दुष्टविद्याविनासी ॥१॥