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२५७ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhrathsha & Hindi Manuscripte
(Puja Patha-Vidhana)
Closing 1
फामीजीनी फासीनाथ नऊवी अनंतरान ' मूलगद आठत
सुराम आदि जानियो। सजन अनेफ तिहा धर्मचद जी को नद वृदावन अग्रवाल
___ गोलगोती वानियो॥ तान रच्यो पाय मनालाल को सहाय वालबुद्धि अनुसार
सुनी सरहानियो । साम भूलचूक होय ताहि सोधि सुद्धकोज्यौ मोहि
अल्पबुद्धि जानि क्षमा उर आनियो । नही है।
Colophon:
८२४. चौबीस तीर्थङ्करपूजा
Opening : Closing :
देखे ऋ० ८२३ ।
जय विमलानदन हरि कृत वदन जगदानदन गद वर ।
भवताप निकन्दन तनकन मदन रहित सवदन नयन धर ।। नहीं हैं।
Colophon :
६२५. चौवीसी पूजा
Opening : देखें, क्र० ०२३ । । Closing
चौवीसो जिनराज को जजो अकसुनाय ।
इच्छा पूरन कर प्रभू, हे त्रिभुवन के राय ।। Colophonr इति श्री वर्तमान चौवीसी पाठ सम्पूर्णम् । कार्तिक कृष्ण |
स. १९६५वार शनि ।
८२६. चिन्तामणि पार्श्वनाथपूजा
Opening :
इन्द्रः चैत्यालय गत्वा वीक्ष्य यज्ञागसज्जिनान् । यागमडलपूजार्थ कर्माचरेदिद ॥१॥ धूपत्रीखण्डदेवदारोय गुग्गुल रगरंसिला। धृतरालश्च भाषाज्य व्यूलधपसग्रहादिकम् ॥
Closing .