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________________ २०८ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Sri Devakumar Jan Oriental Libruru Jain, Siddhant Bhavan, Arrab ५७४. कर्मदहन मत्र Opening! ॐ ह्री नर्व कर्मरहिताय गिद्धाय नम ॥१॥ Closing i __ह्री वीन्निराय रहिताय मिद्धाय नम ॥१६४।। Colophong! इति कर्मदहनमन्त्रसम्पूर्णम १६॥ श्रावणमासे शुतिले ___तियौ ११ रविवासरे नमान १६६५ । Opening : Closing' Colophon: ५७५ कतिकु।ड मत्र ऊही श्री कनी ऐं अई कलिकुंड "। ____ पापात्यचनमस्कारक्रियाक्षरमयी सारावनादेवता । इति नन इष्टता के आरावन का समाप्तम् । ५७६.मंत्र यंत्र Opening : Closing : अघताज के पोडशी जोग सुवर्णमाती सारा की ढी ऊपर धरिये अग्नि देई तब .........। ...... सिद्धि गुरु श्रीराम आज्ञा काली करि घर पहा तेल पलाय अमुकी नरबहे घर । मत्र । नही है। Colophon : ५७७. नमोकार गण विधि Opening: Closing : रेषयाष्ट गुण पुन्य पुत्रजीवेफलर्दम । सत स्यात्सखमणिभिः सहस्वं च प्रवान. ॥ अगुल्यग्रेनुयज्जप्त यज्जत्तमेरुलंघनाद्। __ सख्यासहित जप्त सर्व तनिफ्ल नत्रत् ।। इति जाप्य विधि समाप्नम् । Colophon. Opening ५७८, णमोकार मंत्र णमो अन्हिताण, जो frarmir नमो आयग्यिाग, रमा ३. काप। णमो लोए नव्या
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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