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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Sri Devakumar Jan Oriental Libruru Jain, Siddhant Bhavan, Arrab
५७४. कर्मदहन मत्र
Opening!
ॐ ह्री नर्व कर्मरहिताय गिद्धाय नम ॥१॥ Closing i
__ह्री वीन्निराय रहिताय मिद्धाय नम ॥१६४।। Colophong! इति कर्मदहनमन्त्रसम्पूर्णम १६॥ श्रावणमासे शुतिले
___तियौ ११ रविवासरे नमान १६६५ ।
Opening : Closing' Colophon:
५७५ कतिकु।ड मत्र
ऊही श्री कनी ऐं अई कलिकुंड "। ____ पापात्यचनमस्कारक्रियाक्षरमयी सारावनादेवता । इति नन इष्टता के आरावन का समाप्तम् ।
५७६.मंत्र यंत्र
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Closing :
अघताज के पोडशी जोग सुवर्णमाती सारा की ढी ऊपर धरिये अग्नि देई तब .........।
...... सिद्धि गुरु श्रीराम आज्ञा काली करि घर पहा तेल पलाय अमुकी नरबहे घर । मत्र ।
नही है।
Colophon :
५७७. नमोकार गण विधि
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Closing :
रेषयाष्ट गुण पुन्य पुत्रजीवेफलर्दम । सत स्यात्सखमणिभिः सहस्वं च प्रवान. ॥ अगुल्यग्रेनुयज्जप्त यज्जत्तमेरुलंघनाद्। __ सख्यासहित जप्त सर्व तनिफ्ल नत्रत् ।। इति जाप्य विधि समाप्नम् ।
Colophon.
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५७८, णमोकार मंत्र
णमो अन्हिताण, जो frarmir नमो आयग्यिाग, रमा ३. काप।
णमो लोए नव्या