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________________ २०० श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jarn Siddhant Bhavan, Arnh Colophon: इति आचार्य सिंहनदि विरचित व्रततिथिनिर्णय समाप्तमा सम्वत् १९६६ चैत्रशुक्ल ६ का लिखी हुई सरस्वती भवन बम्बई की प्रति से श्री ५० के० भुजवली जी शास्त्री की अध्यक्षता मे श्री जैन सिद्धान्त भवन आरा के लिए प्रतिलिपि की गई। शुभ मिति ज्येष्ठ शुक्ला १२ रविवार विक्रमसम्वत् १६६१ वीर स. २४६० । हस्ताक्षर रोशनलाल लखक । देखे-जि र, को, पृ ३६८ । ५४८. यात्रामुहत्तं इसमे ग्यारह मुहूर्त वोधक चक्र ह । ५५०/1. आकाशमामिनी विद्या विधि Opening ! जहा गगा तथा और नदी के संगम के निकास पर वट का वृक्ष होइ । Closing : . . . णमो लोए सब्बसाहूण । एहो मत्रराज को एक सौ आठ बार जपै । Colophone इति आकाशगामिनी विद्या विधि । ५५०१२. अम्बिका कल्प। Opening : वन्देऽह वीरसन्नाथम् शुमचद्रजगत्पतिम् । येनाप्येतमहामुक्तिवधूस्त्रीहस्तपालनम् ।।१।। Closing : समसामधन भरभारभर धरधारमर पुरुत सुखकारम् । अतएव भजध्वमतिप्रथित प्रयित सार्थकमेव जनं. ॥ Colophon: इत्यविकाकल्ले चार्षे शुभचद्रप्रणीते सप्तमोऽधिकारः समाप्त ।।७।। नाम्नाधिकार प्रयितोय यत्रसाधनकर्मण. समाप्त एष मत्रोडय पूर्ण कुर्यात् शुम वन. ॥१॥ इत्यम्बिका कल्पः। " ... ~ शुभमिति कार्तिक कृष्णा ७ मंगलवार विक्रम सम्वत् १९९४ वीर सम्वत् २४६३ । इति शुभम् । ह. रोशनलाल ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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