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१४५ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apa'yhr msha & Hindi Manuscripts
(Dharma, Darsana, Acara)
४०२. तत्त्वार्थमूत्र Opneing : वैकल्य द्रव्यपदक नवपदमहित जीवपटकायलेंग्या ॥
पचापचास्तिकाया व्रत समिति गति ज्ञानचरित्रभेदा ॥ इत्येतन्मोक्षमूल त्रिभुवनमहितं प्रोक्तमहंगिरीश ।।
प्रत्येतिश्रद्धाति स्पृशति च मतिमानय मवैशुद्धदृष्टि ।।१।। Closing . णवमे मपर निजर। दसमे मोक्ष्य वियाणेहि ।
इयत्त तच्च भणिय । दहसूत्रे मुणिदेहि ॥७॥ Colophon: इति श्री उमास्वामि विरचित तत्वार्यसूत्र समाप्त ।
लिखित पडित किसनचद सवाई जयपुर का वामी ।। धर्ममूर्ति धर्मात्मा कवरजी श्री दिलसुखजी पठनार्य ।।
४०३. तत्वार्थमूत्र
Opening : Closing : Colophon :
• • • ससारिणस्त्रमस्थावरा । देखे-क्र०४०१. इति उमास्वामीकृत तत्वार्थसूत्र समाप्तम् ।
४०४. तन्वार्थसूत्र Opening : काल्यं द्रव्यपटक · .. शुद्धदृष्टि ॥ Closing i तवयरण
निवारई ।। Colophon: इति श्री तत्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रे दशाध्यायसूत्र जी
समाप्तम् ।
Opening : Closing Colophon:
४०५. तत्वार्थसूत्र वचनिका देखे- ऋ० ४०२॥
आनयन, प्रेष्यप्रयोग, पुद्गलक्षेप ... ...। अनुपलब्ध।