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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jaia Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab
Closing . आासेन गुणसमूह सधार्याऽजित सेन गुरुर्भुवनगुरु. यस्य
गोम्मटो जयतु । Colophon: नही है।
२४४. गोम्मटसार ( जीवकाण्ड) Opening -
वदौ ज्ञानानन्दकर, नेमिचद गुणकद ।
माधव वदित विमल पद पुण्य पयोनिधि नव ।। Closing : धन्य धन्य तुम तुमही सब काज भयो कर जोरि
बारवार वदना हमारी है। मगल कल्यान सुख ऐसो अब चाहत हौं होऊ मेरी
ऐसी दशा जैसी तुम्हारी है ॥ Colophon: इति श्रीमत् लब्धिसार वा क्षपणासार सहित गोमटसार
शास्त्र की सम्यग्ज्ञान चद्रिका नामा भाषाटीका सपूर्ण। श्री महाराजा श्री राजाराम चद्रराज्य शुभ। लिख्यत नग्रचद्रापुरी मध्ये हीराधर जो वाचै सुनै ताकी-श्री शब्द वचन । सवत १८४८ आपाढ़ सुदी १५ दिन शुभ भवत् ।
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Closing :
२४५. गोम्मटसार (कर्मकांड)
पगमिय सिरसा णैमि गुणरयणविभूषण महावीर । सम्मत्तरयणनिलय पयडिसमुक्कित्तण वोन्छ । पाणवधादीसु रदो जिणपूआमोक्खमग्गविग्घयरो।
अज्जोड अतराय ण लहइ इच्छिय जेण ॥ इति श्री कर्मकाण्ड सम्पूर्णम् । देखे, जि० र० को०, पृ० ११०
Catg, of Skt & pkt. Ms., P. 608. Catg. of Skt. Ms., P.310.
Colophon
२४६. गोम्मटसार (कर्मकांड) देखें-क्र. २४५ ।
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