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________________ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library Jain Siddhant Bhavan, Arrah Colophon: इति द्रव्यसग्रह टीकावचूरि सम्पूर्ण । सवत् १७२१ वर्षे चैत्रमासे शुक्लपक्षे पचमी दिवसे पुस्तिका लिखापित सा. कल्याण दासेन । २२४. द्रव्यसंग्रह वचनिका Closing | Opening : • • • या मैं कहूँ हीनाधिक अर्थ लिखा होय तो पडित जन ___ सोधियो .. । Closing : मगल श्री अरहतवर मगल सिद्धि सुसूरि । उपाध्याय साधू सदा करो पाप सब दूरि ॥ Colophon . इति श्री द्रव्यसग्रह भाषा सम्पूर्णम् । २२५. धर्मपरीक्षा Opening : श्रीमन्नभस्वरत्रयतुन्गशाल जगद्गृहवोधमय प्रदीप. । समततोद्योतयते यदीया भवतु ते तीर्थकरा. श्रियेन ।। सवत्सराणा विगते सहस्र', ससप्तातो विक्रम पार्थिवास्या । इद निषिद्धान्यमत समाप्त, जिनिन्द्र धर्मामितियुक्तशास्त्र ।। Colophon: ___ इत्यमितगतिकृता धर्मपरीक्षा समाप्ता। सवत् १६८१ वर्षे पोषवदी पष्ठी तिथौ। पुस्तक पडित जी श्रीरामचद जी आत्मपठनाथं लिपिकृता। देखे, (१) दि, जि न. र.,पृ.४७ । (२) जि र. को,,पृ. १८६ । (३) प्र. जै सा., पृ. १६१ । (४) आ. सू., पृ.७६ । (5) Catg. of Skt & Pkt. Ms., P655. २२६. धर्मपरीक्षा Opening : देखें, ऋ० २२५ । Closing : देखें, ३० २२५ । Colophon: इत्यामितगति कृत्ता धर्म परीक्षा ममाप्ता॥ संवत् १७७६ ॥ समय कातिक सुदि वदि दशम्या मगलवासरे लिखितमिद पुस्तक गोवन पडितेन ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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