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५१ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts
(Purana, Carta, Katha)
Closing :
जा घर शीन धुरधर नारि । मो घर सदा पवित्र निहार ।।
जाघर त्रिया वि ... • • । अनुपलब्ध।
Colophon.
१२६. शीलकथा
Opening • देखें, ऋ० १२८ ।
Closrig : देखें क० १३० । Colophon .
___ इति शील माहात्म्य कथा सम्पूर्णम् । दस्तखत दुरगाप्रसाद मिति कुवार ( आश्विन ) सुदी १४ सोमवार को वावू केशो (केशव) दास की कवीला सुमतदास की महतारी ने चढाया पचायती मदिर मे गया जी के।
१३०. शीलकथा
Opening • देखें, ऋ० १२८ । Closing :
शीलकथा पूरनभई पढे सुने जो कोय ।
सुख पावें वे नर त्रिया, पाप नाश तिन होय ।। Colophon:
इति श्री शीलकथा सम्पूर्णम् । तारीख २ अप्रैल सन् १९०५ । वैशाख कृष्ण ३ मनिवार ।
१३१. शोलकथा Opening : देखें, क. १२८॥
Closing : देखें, ऋ० १३० । Colophon - इति श्री शील माहात्म्य की कथा सम्पूर्णम् । मिती पोप
कृष्ण ११ दिन शनिवार को पूरण भई। इदं पुस्तक नीलकंठदामेन लिखितम् ।