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श्री जैन गिलाना भवन अन्मायनी Shri Dovakumar Join Orental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrak
प्रमाणित है।
१०३/२. रत्लाय कापा
Opening :
Closing :
श्री जिनकमा निरा गमु, गाग्दा प्रगमी भर निरगम् । गोतम गेग प्रामी पाम, जनपि यहमिधि गगन पाय ।। याम्या मणि मानिा भार, प.., मगन जय जयकार । श्रीभूपण गुर आधार, ग्रहमान यो पिचार ।।
इति रनमय गशा मगपंग।
Colophon .
५०४. रत्नत्रयव्रत पूजा व कथा
Opening . श्रीमत गन्मत नला श्रीमत सुगुरमपि।
श्रीमागमत. श्रीमान् पक्ष रस्नायाननम् ।। Closing . दे, ३० १०३/२। Colophon • इनि श्री गलत्रययन कया मगाप्तम्।
विशेष--पूजा जिनेन्द्रसेन रचित है।
१०५. रविव्रत कथा
Opening :
श्री सुण्दायक पास जिनेस, प्रणमौं भव्य पयोज दिनेस । सुमरी सारद पद अरविंद, दिनकर व्रत प्रगट्यो सानद ।।
Closing :
यह व्रत जे नरनारी कर, सो कबहू नहिं दुरगति पर। भाव सहित सुर पर सुपलहैं,
बार बार जिन जी यो कहैं ।। इति श्री रविव्रत कथा जी लघु समाप्तम् ।
Colophon: