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श्री जैनसिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library. Jain didhant Bhavan, Arrah
३६. गजसिह गुणमाला चरित्र Opening : श्री ऋषमादिक जिनवर नमू, चौवीसी सुखकद ।
दरसण दुखदूर हरै, तामै नित आनद । Closing : जो नरहनारी सीलधारी तासमनि अतिमडणी ।
शिवसुखकरणी दुखहरणी क्रमयसयलविह्मणी ।। Colophon : इति श्री गजसिंह गुणमाल चरित्र गुणमाल तपकरण .
उपधानचहन राजा-धर्मशास्त्रबारन्ना रचना श्रवण हुकमकुमर पदरथापन राजागुणमाल दीक्षाग्रहणदेवलोक गमनाधिकार पप्ट खड सपूर्ण । इति श्री तपगच्छमध्ये चद्रशाखाया पडित श्री मुक्तिचद्र तत् शिष्य पडित श्री खेमचन्द्रविरचिताया गुणमाल चौपई सम्पूर्ग। सवत् १७८८ वर्षे मिति चैत्र सुदि पचमी दिने जतिकुसला लिपिवृन्तं श्री मालपुरामध्ये। श्रीरस्तु।
३७. गजसिंह गुणमाला चरित्र Opening : देखे-ऋ० ३६ ।
Closing : देखे-क्र० ३६ । Colophon इति श्री गजसिंह गुणमाला चरित्र गुणमाला तपकरण ,
तपउपधान वहण राजाधर्मशास्त्रचारभारचना श्रवण हुकम कुमार पट्टस्थापन राजा गुणमाला दीक्षाग्रहणदेवलोक गमनाधिकार पष्ट खड समाप्त। मिति फागुन वदी १५ सवत् १९८४ श्री जैन सिद्धान्त भवन आरा लिखित भुजवल प्रसाद जैन मालयौन जिलासागर।
३८. हनुमान चरित्र Opening .
सद्वोंधसिंधु चन्द्राय, सुव्रताय जिनेशिने ।
सुव्रताय नमोनित्य, धर्मशार्थ, सिद्धये ।। Closing .
पठक पाठकस्त्वेन, वक्ता, श्रोता च भावक, चिर नद्यादय अथ तेन सार्द्ध" युगावधि । प्रमाणमस्य ग्रथस्य द्विसहस्त्रमित वुधैः
श्लोकानामिहमंतव्य हनूमचरित्रे शुभे ॥ Colophon
इति श्री हनुमच्चरित्रे ब्रह्मजितविरचिते एकादशः सर्ग: