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________________ Catalogue of Sanskrit. Prakrit. Apabhrainha & Hindi Manuscripta ( Purána, Canla, Kolha) Clasing : श्रीमत आदि पुगणी, नोक भाषा अनुमान । तेईस च गहन है, बुधगन मारह बखान ।। Colophon : मामे कातिकमाने गुगलपक्षे द्वितीया पृहस्पति गवत् १८६ पुस्तक नियतं पेमकणंतम्यात्मपुरा कातालान तस्य पुष जुगराज अपने पठनापं हेतु निगी । ६. भादिपुराण टिप्पण Opening • नमो यमग्रीपापार्याय श्रीगुन्दगुन्दम्यामि । अपागण्ययरेण्य मनपुग्पनमात्तिनौपंगरपुष्पमहिमायाटम्गम्भूतपञ्चारयाणाञ्जित' " । Closing: . म्पपरागिदि म्पपरागंभानं मम्पशानमित्यर्थ । वृषभ श्रोठ । Colophon : ति प्रथमचक्रधरपुराण मनचन्याग्नित्तम पर्वपरिममाप्तम् । विशेष : अनिम एप में अंक गदृष्टि दी गई। देखें-जि. २० मो०, पृ. २७ । ७. आदिनाप पुराण Opening - दे, T० १ । Closing : श्रीपुराणममाम्नायमाम्नात इम्तिमल्सिना । तरण्य मयंगास्वाधेरखण्टं धाग्यस्यमुम् ।। Colophon . इति शमं पर्य। श्रीमदगिलप्राणिगणपाल्याणकारकमिद वृपभनाथपुराण श्रीयीरवाणीविलास--जनसिद्धान्तभवनग्य फर्णाटयलिपियिमूपित-जीर्णप्राचीन ताडपत्रप्रथाद्यथामति वेपुरनिवासिना लोकनाथशास्त्रिणा उत्तमिति भद्र भूयात् । महावीर शफा २४६६ भाद्रपदकृष्णपक्षाष्टमी ता. २१-६-४३। विशेष इसमे केवल दस ही पर्व हैं। जवकि प्रारभ और अन्तिम जिनसेन फे आदिपुराण की भांति ही है। इसमें कर्ता का नाम हस्तिमल्ल लिखा है ? Opening Closing ८ आदिपुराण वचनिका देखें, क. ५ । . विश्वभर विश्वनाथ चक्रनाथ का पिता सो तुम भव्यजीवनिफू मातके अयिहोहु ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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