SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४२ ) अनन्ता द्रव्य खेत्रथौ अढ़ाई होप प्रमाणे कालथी आदि अन्त रहित भावथौ अरूपी गुणथो वर्तमानगुण पुद्गलास्तिकायनें पांच वोलकरी पोलखोजेः-द्रव्यथी अनन्ता द्रव्य खेवथी लोक प्रमाणे कालथौ आदि अन्त रहित भावधी रूपौ गुण थी गलक्ष मले, जौवास्तिकायनें पांच वोल करी ओलखौंजेः-द्रव्यथी अनन्ता द्रव्य खेचथी लोक प्रमाणे कालथी आदि अंत रहित भावथी अरूपी गुगायो ___ . चैतन्य गुणे । २१ इकवीसमें बोले राशि २ दोय :-- ' जीवराशि १ मजीवराशि २ २२ बावीसमें वोले श्रावक का १२ वारे व्रत:१ पहिला ब्रतमें श्रावक स्थावर जीव हगावाकी प्रमाण करे और बस जीव हालतो चालतो हगावाका सउपयोग त्याग करे। '२ दूना व्रतमें मोटको झूठ बोलवाका सउप योग त्याग करे। .: ३तीजा व्रतमें श्रावक राजडण्डे लोकमगडे - इसी मोटकी चोरी करवाका त्याग करे। - गले मळे घठे बधेः अथवाः जुदा एकात्र होय ।
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy