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________________ ( १२४ ) ५ पुल आज्ञा मांहिक बाहिर दोनं नहीं किगा न्याय यजीव छै। ६ जीव आजा मांहिके बाहिन दोने छै किणन्याय निर्वा करगी आज्ञा मांहि छ सावध करगी आज्ञा वाहिर है इशा न्याय । ॥ छ्व द्रव्यपर लड़ी दशमी चोर साहूकार की ॥ १ धर्मास्तिक्षाय चोर के साहूकार दोन नही किणन्याय चोर साहकार तो जीव के ए धर्मास्तिकाय अजीव छै इगाचाय । २ अधर्मास्तिकाय चोर के साहकार दोनं नहीं अजीव छ। ३ आकाशास्तिकाव चोरकै साहकार दोनं नहीं अजीव । ४ कान्त चौरके साहकार दोन नहीं अजीव छ । ५ पुद्गल चोरके साहकार दोनॅ नहीं अजीव छै । ६ नीव चोरक साहकार, दान छ किगान्याय, साठा परिणामा आसरी बोर के चोखा परिणामां श्रामगै साहकार है। ॥ छव द्रव्यपर लडी इग्यारमी जीव अजीवकी ।। १ धर्मास्तिवाय जीवके अजीव, अजीव के।
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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