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जैन-गौरव-स्मृतियां ........................
७८५ __ श्री अनोप चन्दजी के लघुभ्राता श्री गुलाबचन्दजी झावक बड़े ही सरल स्वभावी हैं। ★ सेठ चाँदमलजी जवानमलजी मुणोत शोलापुर
आपका मूल निवास स्थान राणावास मारवाड़) है। करीव ५० वर्षों से शोला पुर में प्रतिष्ठित है । सेठ जवानमलजी के पुत्र न होने से चांदमलजी को गोद लिया । आपका जन्म सं० १९८० श्रावण शुक्ला - है । आप भी अपने पिता श्री के अनुरूप ही परम उदार दिल हैं। एक सुशिक्षित और सुविचारशील समाज प्रेमी युवक हैं। परिवार की ओर से राणावास और शोलापुर के मन्दिरों में . काफी महायता प्रदान की जाती रही है
गुप्त दान विशेष देते हैं। . आपकी फर्म २-३ मिल्स की एजेण्ट है तथा सूत व कपड़े का थोक बंद व्यापार होता है। ★ सेठ कनीरामजी रावतमलजी कटारिया बेल्लारी (मद्रास )
: रुण ( नागोर-मारवाड़ ) निवासी सेठ कनीरामजी के श्री रावतमलनी, धनराजजी, हस्तीमलजी एवं बस्तीमलजी नामक चार पुत्र हुए। श्री रावतमलजी घड़े कर्मवीर तथा धार्मिक कार्यों में असर रहने वाले सज्जन है। श्राप . औषध विज्ञान में भी अति चतुर है । जैन शास्त्रों के स्वाध्याय में श्राप अत्यधिक तालीन रहते हैं। श्री रावतमलजी के सुखराजजी और हेमराजजी नामक दो पुत्र हैं। श्री हस्तीमलजी के भीवराजजी एवं गणपतचन्दजी नामक दो पुत्र हैं। यस्तीमलजी के पुत्रों का नाम भँवरीमलजी गुणचन्दजी माणकचन्दजी तथा दुलीचन्दजी है।।
"नीरामजी रावतमलजी' के नाम से प्रापका व्यापार होता। फर्म की शाखायें कण, कानपुर इत्यादि स्थानों पर भी मित्र नामांसद एवं स्वाद कप से व्यवसाय होता है।
*राव बहादुर सेठ वालचन्द्रजी पञ्चावत, फुन्न र .. पापका जन्म सन् १६८ में हुमा । भाप जैन समाज के सामान
श्रीमन्त सम्मान प्रापक नीलगिरी में चाय के पोते याग पत्र में
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