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जैन -गौरव-स्मृतियां
*श्री सेठ देवीचन्दजी मिश्रीलालजी भण्डारी-बंगलोर सिटी
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... श्री सेठ चौथमजी के पुत्र देवी.: चन्दजी का जन्म सं० १६७३ मार्ग शीर्ष
सुद ५ का है। श्री चौथमलजी के छोटे भाई श्री जवानमलजी के मिश्रीलालजी नामक पुत्र हुए। श्री देवीचन्दजी एवं मिश्रीलाली में अत्यधिक घनिष्ठता है एवं देवीचन्द मिश्रीलाल एण्ड को ८२२ चिकपेठ नामक फर्म स्थापित कर क्लोथ मर्चेण्टस का व्यवसाय करते हैं। आप दोनों बन्धु उत्साही धर्मनेमी एवं मिलन सार सज्जन है । स्थानीय जैन मन्दिर के श्राप दोनों धन्धु स्ट्रटी हैं। धार्मिक कार्यों में साप अग्रसर है प्रतिमा प्रतिष्ठा
श्री देवीचन्दजी के अवसर पर सं० २००५ में अन्जन महोत्सव में २५००० को उदारता दिख लाई इसके अतिरिक्त भी आप वन्धु समय २ पर हजारों रुपये दान में देते रहते हैं।
श्री देवीचन्दजी के पुत्र बालूलालजी है। आपकी फर्म पर उन एवं सिल्क वृहद् रूप में व्यवसाय होता है। ★श्री सेठ नेमीचन्दजी-वेंगलोर
स्याल गोत्रोत्पन्न श्री सेठ हजारीमलजी के पुत्र नेमीचन्दजी का जन्म र १६६२ माघ सुदिका है। धर्म निष्ठता एवं सादजी श्रापका विशेष गुण प्राप
ने ५०५) मोर चरी बाजार के स्थानक में दिया इसी प्रकार यदा यदा और भी 'धार्मिक कार्यों के लिए देते रहते हैं । अापके हाधों फर्म की अच्छी उन्नति हुई एवं
एक शाखा और भी खोली
चंगलोर में शेषमलजी जसराजजी' नामक फर्म १५ पीरमगोड पर वहाँ "मा इलेक्टिक, तथा सोने चॉपी का घोफ पद व्यापार होता है। चिकट पर "एच० नेमीचन्द" नाम के दुमरी फर्म पर इलेषदीयमार है। मापक मारली नामक एक पुत्र है।